Friday, September 23, 2011

Tera Tujko Arpan urf Vasiatnama : Part 1

      मैं यह वसीयतनामा लिखनेवाला, नाम अमुक, वल्द अमुक, जाति अमुक, निवासी खजुरवाली मस्जिद के पास, शहर उज्जैन का रहनेवाला हूँ | उम्र ५० साल [ पूरे पच्चास, उम्र के आंकड़े से तो अभी वसीयत लिखने का वक़्त नहीं आया हैं , फिर भी ] एक तरह से जीवन पाकर हम प्रतिक्षण बढते या घटते रहते है| बढते-बढते पचास के हो गए, यानि पचास वर्ष जी लिए और पचास वर्ष आयु के कम हो गए | [100 - 50=50 ] " जितनी बढती है, उतनी घटती है, उम्र अपने आप कटती है  |" 

           रोज शाम उम्र मेसे कटकर, एक दिन गिर जाता है , 
           और, आदमी है, की उस कटे हुए दिन को जोड़कर , 
           अपनी बड़ी हुई उम्र बताता है |  

       दिन प्रतिदिन उम्र कभी हंसकर - रोकर, कभी खुश - उदास होकर, कभी मस्ती मे बह कर, कभी पस्ती मे घिसटकर, कभी श्रम-संघर्ष मे डटकर, और कभी अपने मे सिमटकर काटनी पड़ी है | अगर सौ वर्ष जीना माने [ कौन जीता है ? ] तो 1 से  50  तक बढने का क्रम था, अब , माय नस 50 से  1  [यानि 51  से 100 ] घटने का क्रम शुरू होता है | सोचता हूँ बढते हुए क्रम के साथ बढता हुआ बल था, पौरुष था, अदम्य साहस था, हसरते थी, कुछ कर गुजरने का जज्बा था | पर अब घटते क्रम की शुरुवात मे वसीयत लिखना है,  ये क्यों हुआ, इसका कारण है, वही बताता हूँ |

          एक दिन बैचेनी और घबराहट होने लगी | शरीर गर्म हो गया | डॉक्टर से चेकअप करवाने से पता चला के मुझे दिल का रोग है  [ ये रोग उन्हें ही होता है, जिनके पास दिल होता है ] साथ ही हाई ब्लड -प्रेशर याने उच्च रक्तचाप भी है [ इसका मतलब, खून खौलना और उच्च स्तर पर पहुचना भी वीरता का एक गुण माना जाता है ] |

          सब घबराये कि मुझे गंभीर बीमारी है, और कभी भी धड़कन बंद हो सकती है, यानि राम नाम सत | सच्चे मित्रो ने सलाह दी कि अब मुझे वसीयत लिख देना चाहिए | यह पक्की बात है कि जीवन का उल्लास वही खत्म हो जाता है, जहाँ आदमी अपने जीवन के बारे में ज्यादा सोचने लग जाता है | सोचा, जब होनी स्वीकार ही करना पड़ रही है तो विवशता से स्वीकार करने से अच्छा है कि हिम्मत के साथ स्वीकार की जाये | क्योंकि कुछ बातें न पूछने की होती है , न बताने की होती है, सिर्फ समझने की होती है और समझ कर चुप रहने की होती है |  
                                                                                                             क्रमश......पार्ट-२ 


No comments:

Post a Comment

Print